समझने सी बात है


आई फिर से आज एक नयी सुबह
उजाले से शर्माती, मखमली चादर में समाती
भोर की किरणों से छिपती छिपाती वो बेचैन पलके
लगता है आई फिर से आज एक नयी सुबह है....

कहने को है मन में एक, नया सा जोश
नयी सी उमंग, एक नया फलसफा
खुद को बहलाने की एक नवीन सोच है

चल निकले है उन् पुरानी गलियों में
ढूंढने एक नयी शुरुआत है
सरपट दौड़ लगाते सब संग मेरे
ना जाने ऐसी क्या बात है
लगता है पीछे रह गया मैं
समझने सी बात है..

पल भर की खुशिया खोजते
चला जा रहा हूँ में
छोटी छोटी कलियों का
बागान सींचे जा रहा हूँ मैं
कभी ऐसी भी प्रतीत होता है
बस यूँही चला जा रहा हूँ मैं

वक़्त का एक पड़ाव ऐसा भी आया,
मन के भीतर देखा तोह पाया
मुस्कराहट का लिबास ओढ़े, अपने ख्वाबो को संजोते
परिचित सी, अकेले और मायूस एक परछाई नज़र आई
मानो शंन भर में ही
सच्च की अभिव्यक्ति हो गयी

अचानक फिर से समय अब थम सा गया है
ज़िन्दगी में आया फिर वही ठहराव है
सारी महत्वाकांक्षायें अधूरी सी लगने लगी है
फिर भी सरपट दौड़ लगाते सब संग मेरे
ना जाने ऐसी क्या बात है
लगता है पीछे रह गया मैं
समझने सी बात है॥

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